Tuesday, November 19, 2024
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जिलाधिकारी ने दिये कोविड हेल्प डेस्क स्थापित कराये जाने के निर्देश

फिरोजाबाद। कोविड-19 को लेकर महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश देते हुए जिलाधिकारी चंद्र विजय सिंह ने कहा कि खुले में 100 एवं बंद हाॅल में 50 की संख्या से अधिक व्यक्ति इकट्ठा न हों। साथ ही फेस मास्क, सोशल डिस्टेंस, थर्मल स्कैनिंग, सेनीटाईजर व हैण्डवाश की उपलब्धता अनिवार्य रहेगी। यदि कोई कार्यक्रम आदि कराना हो तो उसके लिये जिला प्रशासन से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। उन्होने कहा कि कोविड-19 से बचाव हेतु जिले के सभी विभागों के समस्त स्तरों के कार्यालयों में यथा कलेक्ट्रेट, तहसील, विकास भवन, ब्लाक, पुलिस के समस्त कार्यालय, थाना आदि एवं औद्योगिक इकाईयों में कोविड हेल्प डेस्क स्थापित किये जाने के सम्बन्ध में सभी को आदेशित किया है कि जिन कार्यालयों में अभी तक कोविड हेल्प डेस्क स्थापित नहीं किये गये हैं।

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चुनाव प्रशिक्षण में 200 कर्मचारी अनुपस्थित

फिरोजाबाद। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को सकुशल निष्पक्ष ढंग से संपन्न कराने हेतु मतदान कार्मिकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम एमजी इंटर कॉलेज में तीन पालियों में सम्पन्न हुआ। इस दौरान प्रभारी अधिकारी कार्मिक ने अनुपस्थित कार्मिकों को कड़ी चेतावनी देते हुए अगले प्रशिक्षण सत्र में प्रशिक्षण अवश्य प्राप्त करने के निर्देश दिए। प्रभारी अधिकारी कार्मिक मुख्य विकास अधिकारी चर्चित गौड़ ने कहा कि सभी मतदान कर्मी पूरे मनोयोग से प्रशिक्षण प्राप्त करें। टीम भावना से कार्य कर राज्य निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुरूप जनपद में निर्वाचन कार्य को सकुशल, निष्पक्ष व पारदर्शी ढंग से सम्पन्न कराना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि सभी कार्मिक प्रशिक्षण के दौरान अपनी सभी छोटी से छोटी शंकाओं का समाधान कर लें।

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जिले में 56 और मिले संक्रमित, नौ डिस्चार्ज, सक्रिय केस-377

फिरोजाबाद। कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या हर रोज नये रंग रूप में देखने को मिल रही है। मरीजों की बढ़ती संख्या के बावजूद लोग बेपरवाह बने हुये है। कोई भी सरकार की गाइड लाइन का पालन नहीं कर रहा है। वहीं सोमवार को आई रिपोर्ट में 56 लोग कोरोना संक्रमित मिले है। वही जिले में एक्टिव केस बढ़कर 408 हो गये है। जिला प्रशासन द्वारा लगातार लोगों को दो गज की दूरी व मास्क है जरूरी को लेकर जागरूक करने का काम किया जा रहा है। लेकिन लोग कोरोना महामारी को हल्के में लेते नजर आ रहे है।

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सिटी मजिस्ट्रेट ने अग्रिम आदेश तक मंगल बाजार बंद करने के दिए निर्देश

फिरोजाबाद। जनपद में कोरोना हर रोज आउट ऑफ कंट्रोल देखा जा रहा है। इसको लेकर प्रशासन ने भी कमर कस ली है। जिससे लोग सुरक्षित रह सके। वहीं सोमवार को नगर मजिस्ट्रेट ने बढ़ते प्रकोप को लेकर 13 अप्रैल से लेकर अग्रिम आदेश तक मंगल बाजार बंद करवाने के निर्देश जारी किए है। जनपद में बढ़ते कोरोना मरीजों की संख्या हर दिन टेंशन देते दिख रही है। इसके बावजूद भी लोग है कि सावधानी बरतने में कोताही कर रहे है। वहीं ओवर ब्रिज के नीचे गोपाल आश्रम से लेकर कोटला चुंगी चैराहे तक मंगल बाजार लगाया जाता है। जिसमें लोगों की खरीददारी को लेकर काफी भीड़ लगती है। कभी-कभी तो भीड़ के चलते जाम की स्थिति बन जाती है। जिससे लोगों का निकलना दुश्वार हो जाता है। स्कूली बच्चों से लेकर राह गुजरने वाले लोगों घंटों के हिसाब से फंसने को मजबूर हो जाते है।

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चूड़ी सिट यूनियन ने दी हड़ताल की चेतावनी

फिरोजाबाद। चूड़ी सिट यूनियन की बैठक सोमवार को रामगोपाल राठौर की अध्यक्षता में कैलाश नगर अखिलेश शर्मा के निवास पर संपनन्न हुई। जिसमें ठेकेदारों ने यूनियन के गठन का निर्णय लिया। इस दौरान समस्या समाधान न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी।
यूनियन नेता महेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आज महंगाई चरम सीमा पर है। लेकिन चूड़ी के काम पर लगातार रेट कम हो रही है। आज से करीब चार या पांच वर्ष पूर्व चूड़ी सिट वालों की ठेकेदारी रेट 250 रूपये कट्टा तथा कारीगर से तीन पैसे पीस के हिसाब से थी। लेकिन यूनियन न होने के चलते अब 1.50 से दो पैसे पीस के हिसाब से गोदाम मालिक हिसाब कर रहे है।

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स्व. राजपाल सिंह यादव की तृतीय पुण्यतिथि पर आयोजित हुई विचार गोष्ठी

फिरोजाबाद। बजरंग मार्केट कोटला चुंगी चैराहा पर पी.डी जैन मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष स्व. राजपाल सिंह यादव की तृतीय पुण्यतिथि पर एक विचार गोष्ठी आयोजित की गई। इस दौरान व्यापारियों ने उनको श्रद्वांजली अर्पित की। महानगर अध्यक्ष अंबेश शर्मा ने कहा कि स्व. रामपाल यादव एक संघर्षशील जुझारू ईमानदार व्यापारी नेता थे। उन्होंने हमेशा ही व्यापारियों के हित में सशक्त व संघर्षशील कार्य किए। प्रांतीय उपाध्यक्ष कैलाश उपाध्याय ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें नमन किया। जिलाध्यक्ष रविन्द्रलाल तिवारी ने कहा कि व्यापार मंडल ने अपना एक जुझारू संघर्षशील नेता को खो दिया है।

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बच्चों को पाठ्य सामग्री की वितरित

फिरोजाबाद। कोमल फाउंडेशन, वरुणा सेवा ट्रस्ट वाराणसी तथा सूट इंडिया के सहयोग से संचालित संस्कारशाला न्यू रामगढ़ जलेसर रोड पर बच्चों को कोरोना महामारी से बचाव हेतु जानकारी दी गयी। वहीं वरुणा सेवा ट्रस्ट की अध्यक्षा सी.ए. जमुना शुक्ला एवं सस्था के अध्यक्ष अश्वनी राजौरिया ने जरूरतमंद बच्चों को पाठ्î सामग्री, बिस्किट व मास्क का वितरण किया। उन्होंने कहा कि कोविड़-19 की वजह से वर्तमान में कोमल फाउंडेशन द्वारा संचालित संस्कारशाला एवं समस्त बाल गुरुकुलों में शिक्षण कार्य बंद चल रहा है तथा कोरोना महामारी की वजह से बच्चों की शिक्षा पर बहुत ही प्रभाव पड़ा है।

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मादक पदार्थो की तस्करी का भंडाफोड, चार अभियुक्त गिरफ्तार

एसटीएस व शिकोहाबाद पुलिस ने संयुक्त रूप से दो करोड से अधिक कीमत की हेरोइन की बरामद
फिरोजाबाद। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के मद्देनजर एसएसपी अजय कुमार पांडेय के निर्देश के क्रम में पुलिस टीमों द्वारा अभियान चला अवैध शराब, मादक पदार्थो की तस्करी करने वालों पर निरंतर कार्यवाही की जा रही है। इसी क्रम में एसटी स्क्वाड व थाना शिकोहाबाद पुलिस की संयुक्त कार्यवाही ने बड़ी सफलता हासिल की। जिसमें करीब दो करोड़ से ज्यादा कीमत की हेरोइन बरामद करने के साथ ही मादक पदार्थो की तस्करी करने वाले गिरोह से संबंधित चार अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया। वहीं उनके पास से डिलीवरी के काम हेतु प्रयुक्त वैगन आर गाड़ी बरामद हुई है। एसएसपी अजय कुमार पांडे ने पुलिस लाइन सभागार में वार्ता के दौरान बताया कि गिरफ्तार किये गये चार अभियुक्तों के नाम सुमित पुत्र चूरामड़ि निवासी ग्राम कनिकपुर थाना बरनाहल मैनपुरी, गोविंद पुत्र अमर सिंह निवासी नगला खंदारी थाना सिरसागंज, संदीप कुमार पुत्र सोपाली राम व लव कुमार पुत्र ब्रजेश कुमार निवासीगण नगला गुलाल थाना नगला खंगर बताए।

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स्त्रीशक्ति के हिमायती थे डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर

डॉ0 आंबेडकर महिलाओं की उन्नति के प्रबल पक्षधर थे। वे महिलाओं को हक दिलाना चाहते थे। उनका मानना था कि किसी भी समाज का मूल्यांकन इस बात से किया जाता है कि उसमें महिलाओं की क्या स्थिति है। दुनिया की लगभग आधी आबादी महिलाओं की है। इसलिए जब तक उनका समुचित विकास नहीं होता कोई भी देश चहुंमुखी विकास नहीं कर सकता। डॉ0 आंबेडकर का महिलाओं के संगठन में अत्यधिक विश्वास था। उनका कहना था कि यदि महिलाएं एकजुट हो जाएं तो समाज को सुधारने के लिए क्या नहीं कर सकती हैं। वे लोगों से कहा करते थे, कि महिलाओं और अपने बच्चों को शिक्षित कीजिए। उन्हें महत्वाकांक्षी बनाइए। उनके दिमाग में यह बात डालिए कि महान बनना उनकी नियति है। महानता केवल संघर्ष और त्याग से ही प्राप्त हो सकती है।
भारत में सवर्ण विचारकों ने जाति और महिला आंदोलन को अलग अलग करके देखा है। ऐसे विचारक महिला समस्या को स्वतंत्र समस्या मानते हैं। जबकि भारत में महिलाओं की समस्या जाति से भी जुड़ी हुई है| महिला समस्या पूरी दुनिया में है। लेकिन जाति पूरी दुनिया में नहीं है। ये भारत की विशिष्टता है।बाबासाहेब डॉ0 आंबेडकर ने भारत में जाति और महिला समस्या को जोड़कर देखा, उन्होंने 1916 में कोलम्बिया यूनिवर्सिटी में एक पेपर प्रस्तुत किया जिसका शीर्षक था दृ  ‘भारत में जातियां . संरचनाए उत्पत्ति और विकास ‘। इस पुस्तक में उन्होंने दिखाया कि जाति की मुख्य विशेषता अपनी जाति के अंदर शादी करना हैण् कोई अपनी इच्छा से शादी नहीं कर सकेए इसलिए प्रेम करने भी रोक लगाई गयी। बाबा साहेब लिखते हैं कि .यदि किसी पुरुष की मृत्यु हो जाती है| उसकी पत्नी विधवा हो जाती है। अब उस जाति में यदि कोई योग्य पार्टनर उसे नहीं मिला। तो वह बाहर सेक्स संबंध बना सकती है| वह बाहर सेक्स संबंध नहीं बना पाएए इसके लिए दो प्रबंध किये गए . सती प्रथा तथा विधवा विवाह पर रोक। सती प्रथा में उस औरत को जिन्दा जलाया जाता है। एवं विधवा के रूप में उसे जीवन भर नर्क की जिंदगी जीनी होती है। अभी सती प्रथा तो प्रचलित नहीं है। लेकिन विधवा महिला को अभी भी सम्मान की नजर से नहीं देखा जाता।
डॉ0 अम्बेडकर का काल दलित महिलाओं की अपनी व समाज की स्वतन्त्रता समानता को लेकर की गई सक्रिय व संघर्षपूर्ण भागीदारी का स्वर्ण काल है। डॅा0 अम्बेडकर के समय में चले दलित आन्दोलन में लाखों.लाख शिक्षित.अशिक्षित, घरेलू, गरीब मजदूर किसान दलित शोषित महिलायें जुड़ी। उन्होनें जिस निर्भीकता बेबाकी और उत्साह से दलित आन्दोलन में भागीदारी निभाई वह अभूतपूर्व थी। दलित महिला आन्दोलन और डॉ0 अम्बेडकर के साथ महिला आन्दोलन की सुसंगत शुरूआत 1920 से मान सकते है हालांकि सुगबुगाहट सन् 1913 से ही हो गई थी। 1920 में भारतीय बहिष्कृत परिषद की सभा कोल्हापुर नरेश छत्रपति शाहू जी महाराज की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। इस सभा में पहली बार दलित महिलाओं ने भाग लेकर अपनी सक्रिय भूमिका निभाई। पहली बार दलित स्त्रियों ने शिक्षा के महत्व को समझते हुए इस सभा में सौ. तुलसाबाई बनसोडे और रूकमणि बाई ने घरेलू भाषा में लड़कियों की शिक्षा पर बात रखी। उन्होने अपने विचार रखते हुए कहा कि लड़कियों की असली शक्ति शिक्षा ही है। इस परिषद में लड़कियों के लिए अनिवार्य और मुफत शिक्षा का प्रस्ताव पारित किया गया।
डॉ0 अम्बेडकर जब मात्र छः वर्ष के थे तब उनकी मां गुजर गई। मां के अभाव में कटे दिन उनके मन में स्त्री जगत के लिए हमेशा.हमेशा के लिए महत्वपूर्ण स्थान बना गए। मां की मृत्यु के बाद बालक भीमराव का पालन.पोषण उनकी अपंग बुआ ने बडे़ मनोयोग से किया। हालाकिं वह शारीरिक अपगंता के चलते घर का कुछ भी काम नहीं कर सकती थी। पर बालक भीमराव को प्यार से गोद में छिपाकर वह उसे भरपूर दुलार तो देती ही थीं। जो थोड़ी बहुत मां की ममता की कमी रही भी तो बालक भीमराव की दोनो बड़ी शादी.शुदा बहने तुलसी और मंजुला ने पूरी की। भीमराव की बुआ शरीर से बौने कद की होने के साथ उनकी पीठ पर बड़ा सा कूबड़ भी था। उस समय ऐसी कन्या के विवाह होने की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी अतः बालक भीमराव अविवाहित बुआ के प्यार भरे सान्निध्य में पले। शादी.शुदा बहने मंजुला और तुलसी दोनों बारी.बारी से घर आकर गृहस्थी के साथ बालक आनन्दराव और भीमराव का पालन करती थी।
डॉ0 अम्बेडकर के स्त्री चिंतन को प्रखर बनाने में सबसे अधिक योगदान अगर किसी का कहा जा सकता है तो वह नाम उनके पिताए बुआ और बहनों के बाद केवल उनकी पत्नी रमाबाई का ही हो सकता है। अक्सर दलित लेखक बाबा साहब का जीवन वर्णन करते समयए उनके संघर्षों को बताते समय, उनको भीमराव से बाबा साहब बनाने वाली रमाबाई के योगदान की चर्चा करना भूल जाते हैं। रमाबाई दलितों के महानायक डॉ0 अम्बेडकर नामक विशाल वृक्ष मजबूत जड़ थीए जो आंधी तूफानों से भरे संघर्षपूर्ण दिनों में उन्हें अविचल रूप से थामें मजबूती से खड़ी रही। रमाबाई के मूक बलिदान ने दलित आन्दोलन में रक्त प्रवाह का कार्य किया है।
डॉ0 अम्बेडकर के पढ़ने की क्षुधा को अपने खून पसीने से एक कर, रात.दिन कमा कर, एकांकी जीवन जीते हुए, उपले पाथते हुए, रात.दिन घर में खटते हुए वह रमाबाई ही थी जिसने डॉण् अम्बेडकर के अन्दर ज्ञान की कभी न मिटने वाली प्यास को धनाभाव के कारण बुझने नहीं दिया। जिस समय रमाबाई का विवाह हुआ उस समय रमाबाई को पढ़ना नही आता था। डॉ0 अम्बेडकर ने उन्हें पढ़ना.लिखना सीखा। रमाबाई अक्सर डॉ0 अम्बेडकर द्वारा किए जा रहे कार्यों पर बातचीत करती व अपनी उचित सलाह दिया करती थी। डॉ0 अम्बेडकर उन्हें दलित महिलाओं की सभा में अवश्य ले जाया करते थे। 29 जनवरी 1928 मुंबई में रमाबाई को दलित महिला की परिषद् में अध्यक्ष पद के लिए चुना गया और उन्होने अध्यक्ष के पद को बड़ी बखूबी से संभाला। महाड़ सत्याग्रह के बाद सौभाग्य सहस्र बुद्धे और रमाबाई अम्बेडकर ने सवर्ण स्त्रियों की तरह दलित महिलाओं को साड़ी बांधना सिखाया।
वायसराय की कार्यकारी परिषद में श्रम सदस्य रहते हुए डॉ0 आंबेडकर ने पहली बार महिलाओं के लिए प्रसूति अवकाश (मैटरनल लीव ) की व्यवस्था की। संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में संविधान निर्माताओं में उनकी अहम भूमिका थी। संविधान में सभी नागरिकों को बराबर का हक दिया गया है। संविधान के अनुच्छेद 14 में यह प्रावधान है कि किसी भी नागरिक के साथ लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता। आजादी मिलने के साथ ही महिलाओं की स्थिति में सुधार शुरू हुआ। आजाद भारत के पहले कानून मंत्री के रूप में उन्होंने महिला सशक्तीकरण के लिए कई कदम उठाए। सन् 1951 में उन्होंने  “हिंदू कोड बिल” संसद में पेश किया।
डॉण् आंबेडकर का मानना था कि सही मायने में प्रजातंत्र तब आएगा जब महिलाओं को पैतृक संपत्ति में बराबरी का हिस्सा मिलेगा और उन्हें पुरुषों के समान अधिकार दिए जाएंगे। उनका दृढ़ विश्वास कि महिलाओं की उन्नति तभी संभव होगी जब उन्हें घर परिवार और समाज में बराबरी का दर्जा मिलेगा। शिक्षा और आर्थिक तरक्की उन्हें सामाजिक बराबरी दिलाने में मदद करेगी।

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धर्म,आस्था और संस्कृति का संगम है महाकुम्भ:सतपाल  महाराज

हरिद्वार| उत्तराखंड के पर्यटन संस्कृति कैबिनेट मंत्री एवं सुप्रसिद्ध समाजसेवी  सतपाल  महाराज ने कहा कि कुम्भ महापर्व सदियों से चला आ रहा है भारतीय सनातन संस्कृति का अद्वितीय महापर्व है जिसका अमृतमय सन्देश आत्मसात करके ही विश्व को विनाश से बचाया जा सकता है। महाराज  ने प्रेमनगर आश्रम स्थितगोवर्धन हॉल में आयोजित विशाल अध्यात्म-योग-साधना शिविर के दूसरे दिन श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमें कोविड-19 के सभी नियमों का पालन करते हुए अपने दैनिक तथा सामाजिक कार्यों  को करने की आदत बनानी है। महाराज ने कहा कि भारत के ऋषि-महऋषियों एवं धर्म शास्त्रों के ज्ञान का मूल है कि समस्त प्राणियों के श्वांस-प्रश्वांस में समाये प्रभु-नाम के अध्यात्म तत्व-ज्ञान से ही मानव के विनाश कारी मन पर काबू किया जा सकता है।

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