Wednesday, January 22, 2025
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लेख/विचार

“उर्फ़ी जावेद का अतरंगी अंग प्रदर्शन”

आजकल सोशल मीडिया पर बिग बॉस ओटीटी के ज़रिये प्रसिद्धि हो चुकी टीवी ऐक्ट्रेस उर्फ़ी जावेद सुर्खियों का विषय बनी रहती हैं। वह अपने अजीबो गरीब पहनावे को लेकर दर्शको के बीच एक उत्सुकता का विषय बनी रहती है। ऐसी लड़कियों ने आजकल लगता है शर्म बेच खाई है। अधनंगी बीच बाज़ार या सड़कों पर फ़ोटो खिंचवाते प्रदर्शन करती रहती है। कभी बैकलैस कपड़े तो कभी सिर्फ़ ब्रा जैसे छोटे कपड़े लपेट कर खड़ी हो जाती है।
हर तरफ़ से हर अंगों का प्रदर्शन करके क्या साबित करना चाहती है? ऐसी लड़कियां दरिंदों के दिमाग में वासना का ज़हर भरती है। पुलिस को इसके ख़िलाफ़ कारवाई करके बैन कर देनी चाहिए। उनके माँ-बाप को नोटिस भेजकर अपनी बेटी को एक हद में रखने की हिदायत देनी चाहिए।
हिजाब और नकाब का समर्थन करने वाले इस्लाम धर्म से ताल्लुक रखने वाली लड़की बीच बाज़ार फटेहाल कपड़ों में अंगों का प्रदर्शन करते अपने धर्म को लज्जित कर रही है। क्यूँ उसकी ऐसी हरकतें किसीकी नज़र में नहीं आती।
उर्फ़ी ने अभी कुछ दिन पहले पेंट के साथ एक क्रॉप टॉप पहनी थी। मजे की बात यह थी की उन्होंने जो पेंट पहनी थी उसके बटन खुले हुए थे। उनके इस पहनावे के अंदाज को लेकर लोग उनको ट्रोल भी करते रहते है। लड़के निम्न कक्षा की कमेन्ट देकर नीचा दिखाते है।
इससे पहले उर्फ़ी ने कैमरे के सामने बोल्डनेस की सारी हदें पार कर दी थीं। उसने अपनी एक तस्वीर शेयर की जिसमें वह टॉपलेस नजर आईं। फोटो में देखा जा सकता है कि उर्फ़ी ने सिर्फ जींस पहनी हैं और वह बेड पर लेटी हुई दिख रही हैं। उर्फ़ी का ये बोल्ड लुक सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था।

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“धर्मांधता का अजगर देश को निगल रहा है”

सबको धर्म के प्रति खुद के विचार श्रेष्ठ लगते है। चाहे हिन्दु पंडित, बाबा या स्वामी हो, मदरेसा का मौलवी हो या नेता यह सब धर्म के ठेकेदार पाखंड को धर्म के रंग में रंगकर अनपढ़ गंवार लोगों को कट्टरवाद का चोला पहना देते है और कहते है लड़ो, देखो तुम्हारे धर्म पर ऊँगली उठा रहे है और इस वाक्य को ब्रह्म वाक्य समझकर हाथ में धर्म की लाठी लेकर देश को जलाने अक्कल के अंधे लोग निकल पड़ते है। धर्म हर इंसान का निजी मामला है जो आज सरेआम भटक रहा है। आस्था पर टीका धर्म आज हरा-केसरिया दो रंगों में बंटकर बदबूदार और खून से लथपथ होता जा रहा है। तिरंगे में सजे यह दो रंग एकता का प्रतिक है जिसे हमने धर्म की शूली पर चढ़ा रखा है। इस दो रंगों पर सियासत चल रही है।

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झाड़ू गुजरात में कितना कामयाब

दिल्ली में दो टर्म्स जितने वाले अरविंद केजरीवाल मुफ्त मुफ्त की राजनीति से प्रसिद्ध हो गए हैं।जहां उनकी सत्ता में पुलिस नहीं हैं तो अब पंजाब में पुलिस वाली सत्ता पा कर बहुत खुश हैं।वहीं पंजाब में भी बंदर बांट की राजनीति कामयाब रही और जीत का सेहरा पहन लिया हैं।पंजाब में अकालीदल बीजेपी के समर्थन के बगैर और नशाखोरी के इल्जामों के कारण असफल रहा तो कांग्रेस के अंदर फूट और विघटन के चलते कैप्टन अमरिंदरसिंघ की अनदेखी करने वाली कांग्रेस खुद ही धराशाई हो गई, उन्हे बाहर से किसी को विघटित करने की जरूरत ही नहीं पड़ी।कांग्रेस अब सभी जगह जर्जरित अवस्था की और प्रयाण कर रहीं हैं और उसी का फायदा आप पार्टी ले रही हैं।दिल्ली जैसे छोटे राज्य से पंजाब का तख्ता पाना आप के लिए एक नया कदम हैं जो दिल्ली के बाहर रखा उसने रखा हैं।

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“समाज शिक्षित होगा तभी देश विकसित होगा”

संत कबीर जी का एक दोहा है,
“पोथी पढ़ि-पढ़ि जग मुआ पंडित भया न कोई, ढ़ाई आखर प्रेम का पढ़ सो पंडित होइ”
इस छोटे से दोहे को ध्यान से पढ़े तो आज के ज़माने की सच्चाई नज़र आएगी। किताबें पढ़कर कोई पंडित नहीं बनता, प्रेम शब्द में छुपे ढ़ाई अक्षर जिसने महसूस कर लिए वह महान है। आजकल के बच्चें वही कर रहे है, किताबों से दूर होते जा रहे है और प्रेम प्यार के चक्कर में पड़ कर ज़िंदगी खराब कर लेते है। पर आज के दौर में बच्चों को किताबों से प्रेम करने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है। बेशक प्रेम करो पर पढ़ाई से, तभी दुन्यवी हर चीज़ को प्रेम से देख पाओगे अपनी सोच और समझ को विकसित कर पाओगे।
आजकल की पीढ़ी पढ़ाई से परे होती जा रही है, एक उम्र पंद्रह से इक्कीस तक की बच्चों को विचलित करने वाली होती है। विपरित सेक्स के प्रति आकर्षण को प्यार, इश्क, मोहब्बत समझकर अपने लक्ष्य से भटक जाते है, और गलत दिशा में मूड़ जाते है। दरअसल आज दोनों चीज़ की सख्त जरूरत है पढ़ाई और प्रेम पढ़ाई से प्रेम करेंगे तभी अपनी सोच को परिपक्व बना पाएंगे।

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आज मौसम बड़ा बेईमान है….

आज मौसम बड़ा बेईमान है, बड़ा बेईमान है आने वाला कोई तूफ़ान है, आज मौसम बड़ा बेईमान है!.. यह गीत सुनकर मन हर्ष उल्लास से भर जाता है खासकर जब मौसम गर्मी का हो एक अजीब सी शांति मिलती है। यूं तो गर्मियां मई- जून से प्रारंभ होती है जो जुलाई-अगस्त में उमस के कारण अपनी चरम पर हो जाती है और कम से कम नवंबर तक रहती हैं। परंतु इस वर्ष ना जाने गर्मियां एकदम से दस्तक दे गई है जो कि काफी आश्चर्यजनक है क्योंकि इसी प्रकार बीते वर्ष 2021 में सर्दियों का प्रारंभ भी अचानक हुआ था। बीच का हल्की हल्की सर्दी गर्म हवा जिसमें आधी बाजू वाला स्वेटर जैकेट पहनने वाला मौसम आया ही नहीं। कोविड-19 की वजह से पता ही नहीं चला 2 साल कब कैसे कट गए, जब महामारी का प्रभाव हल्का हुआ तो भीषण गर्मी का सामना करना पड़ा, बीच का वह आनंदित फागुन का मौसम कही अदृश्य हो गया हो।
तापमान में नियमित बढ़त देखी जा रही है। भारत के कई हिस्सों में तापमान निरंतर 38सी-40सी रिकॉर्ड हो रहा है। भारत के उत्तर के प्रदेश जम्मू कश्मीर के जम्मू में 75 साल का रिकॉर्ड टूटा है यहां 28 मार्च को 38सी डिग्री तापमान मापा गया है। वहीं भारत की राजधानी दिल्ली भी पीछे नहीं है यहां पारा 40सी पार कर गया है। अब आलम यह है कि जहां कोविड-19 की पाबंदियां के कारण घर से बाहर निकलना एक मजबूरी थी वही अब घर से बाहर निकालना एक सज़ा से कम नहीं है।
गीत की पंक्तियां कहती है आने वाला कोई तूफ़ान है, तूफ़ान तो आ रहा है परंतु धूल मिट्टी, सूखे पत्ते वह गंदगी भरा जो जगह-जगह ,घर, अगर आप बाहर हैं तो आपके मुंह पर चिपक जाएगा। सबसे ज़्यादा आंखें फेफड़े व त्वचा खराब हो जाती हैं। इस मौसम के साथ रूखेपन की वजह से आंखों की पलकें भी ज़्यादा उपयुक्त होती हैं उनके बाल गिरने लगते हैं। हमारी त्वचा की ऊपरी परत खत्म हो जाती है वहीं इतनी धूप और गर्मी के चलते पिगमेंटेशन व स्किन अल्सर हो जाते है जो कि स्किन कैंसर का रूप ले लेती है।

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उत्तर प्रदेश सरकार की निःशुल्क राशन वितरण योजना गरीबों के लिए वरदान साबित हुआ

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दूसरी बार मुख्यमंत्री की शपथ लेने व कैबिनेट गठन के तत्काल बाद कैबिनेट की बैठक कर 3 माह के लिए प्रदेश के 15 करोड़ गरीबों को निःशुल्क राशन वितरण की सीमा बढ़ाते हुए 30 जून, 2022 तक कर दिया है। मुख्यमंत्री जी का यह निर्णय बेहद मानवीय है, क्योंकि कोरोना के कारण अभी भी गरीबों की स्थिति सामान्य नहीं हो पाई है। सरकार की यह योजना गरीबों के लिए वरदान साबित हुई है। प्रदेश के 15 करोड़ पात्र लोगों को डबल राशन का उपहार दिया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा सभी अन्त्योदय एवं पात्र गृहस्थ कार्ड धारकों को प्रति यूनिट प्रतिमाह 05 किलोग्राम गेहूं तथा उ0प्र0 सरकार द्वारा सभी पात्र गृहस्थ कार्ड धारकों को मुफ्त 05 किलोग्राम गेहूं/चावल प्रति यूनिट प्रतिमाह तथा अन्त्योदय कार्ड धारकों को मुफ्त 35 किलो गेहूं/चावल के साथ 01 किलोग्राम चीनी भी प्रतिमाह दी जा रही है, साथ ही सभी कार्ड धारकों को मुफ्त 01 किलोग्राम दाल, 01 ली0 खाद्य तेल एवं 01 किलोग्राम नमक का वितरण किया जा रहा है।
प्रदेश सरकार के एन0एफ0एस0ए0 के नियमित निःशुल्क खाद्यान्न के अतिरिक्त भारत सरकार के निर्देशानुपालन में समस्त अन्त्योदय एवं पात्र गृहस्थी कार्डधारकों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अन्तर्गत प्रति व्यक्ति 05 किग्रा0 खाद्यान्न (03 किग्रा0 गेहू व 02 किग्रा0 चावल) का भी प्रति माह निःशुल्क वितरण माह मार्च, 2022 तक कराया गया था। मई, 2021 से फरवरी, 2022 तक 47.91 लाख मी0टन गेहूं तथा 22.56 लाख मी0टन चावल, इस प्रकार कुल 70.47 लाख मी0टन खाद्यान्न का वितरण किया गया। मार्च 2022 में खाद्यान्न वितरित हुआ है। प्रदेश सरकार अप्रैल, 2022 में तीन चरणों में निःशुल्क राशन वितरण करा रही है। पहले चरण में 02 अप्रैल से 10 अप्रैल तक, दूसरे चरण में 12 से 20 अप्रैल तक एवं तीसरे चरण में 22 अप्रैल से राशन वितरण किया जा रहा है।

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अलविदा इमरान

आजकल समाचारों की दुनियां में सबसे अधिक पाकिस्तान का, इमरान खान का ही नाम गूंज रहा हैं।कोई भी न्यूज चैनल या सोशल मीडिया को देखो तो एक ही बात सुनाई पड़ती हैं ,नियाजी की बिदाई,इतने हथकंडे अपनाएं,सुप्रीम कोर्ट को भी इन्वॉल्व किया,जर्नल बाजवा को भी बिनती हुई,सोशल मीडिया पर भी बेबाक बातें की,भारत और भारतीयों और यहां तक कि अपने प्रधानमंत्री जी की रीति नीति का भी भर पेट बखान काम नहीं आया और अलविदा हो ही गएं नियाजी।दिन रात पाक संसद चली,बीच में सस्पेंड भी हुई रात 12 बजे के बाद संसद ने काम किया तो नियाजी समर्थक गायब और जो थे वो सिर्फ नियाजी के कसीदे पढ़ने के लिए।वे खुद भी तो संसद आने की हिम्मत नहीं कर पाएं घर बैठ टीवी लाइव देख रहे थे और अपनी ही बेइज्जती होती देख रहे थे। वैसे तो वे तीन शर्तों के साथ इस्तीफा देने के लिए तैयार थे ,एक तो इस्तीफे के बाद उनकी गिरफ्तारी न हो,शाहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री न बनाया जाएं उनके बदले किसी ओर को प्रधानमंत्री बनाया जाएं।

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पेंशन ज़र्रज़रित बुढ़ापे की चद्दर होती है’

“खाली जेब मुफ़लिसी का प्रमाण है पास नहीं पैसे तो आप ठन-ठन गोपाल हो, दुनिया पूजती है बस पैसों की खन-खन को”
ये कहने में ज़रा भी अतिशयोक्ति नहीं होगी कि इंसान के पास अगर पैसा हो तब आधी से ज़्यादा परेशानी ख़त्म हो जाती है। खासकर बुढ़ापे में इंसान किसीका मोहताज नहीं होना चाहिए।कभी किसीने सोचा है बुढ़ापे में जब कमाई का और कोई ज़रिया नहीं होता तब पेंशन मीठे झरने का काम करती है। पेंशन पाने वालें बुज़ुर्ग खुशकिस्मत होते है। पास पैसे होंगे तब सेवा करने वाले मिल जाएंगे, या तो घर वाले भी पैसों की लालच में ही सही ढंग से देखभाल कर लेते है।60 सालों तक लगातार काम करते इंसान का शरीर थकान महसूस करता है।

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प्रदेश में तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त कर युवा हो रहे हैं आत्मनिर्भर

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की नीति है कि युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध कराया जाएं। सरकार द्वारा युवाओं को प्रदेश में स्थापित विभिन्न व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों से उनमें अभूतपूर्व गुणात्मक सुधार लाकर उच्च स्तरीय प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा हैं। प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में स्थापित विभिन्न प्रकृति के उद्योगों, औद्योगिक इकाईयों तथा क्षेत्र से सम्बंधित प्रतिष्ठानों के संचालन हेतु कुशल कर्मकार तैयार करने और उन्हें व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्रदान कराकर रोजगार/स्वरोजगार से जोड़कर उच्च गुणवत्ता के जीवनयापन को सुनिश्चित कराने का कार्य सफलता पूर्वक कराया जा रहा हैं।
प्रदेश सरकार द्वारा व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास मिशन के अर्न्तगत प्रदेश में सेवा क्षेत्र में बढ़ते हुऐ दायरे को दृष्टिगत रखते हुए दीर्घकालीन एवं अल्पकालीन कौशल प्रशिक्षण प्रदान कराये जा रहे है। दीर्घकालीन प्रशिक्षण एक व दो वर्षीय अवधि के अभियान्त्रिकी तथा गैर-अभियान्त्रिकी विषयों, पाठ्यक्रमों का औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण देते हुए रोजगार से लगाया जाता है। युवाओं/युवतियों को कौशल विकास मिशन के अर्न्तगत अल्पकालीन विभिन्न ट्रेड्स में निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता हैं।

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उप्रः सरकार व सरकारी तन्त्र को पत्रकारों से इतनी नाराज़गी क्यों ?

उप्र में सरकार अथवा सरकारी तन्त्र के खिलाफ खबरें चलाने के चलते पिछले दो-तीन वर्षो में अनेक पत्रकारों के खिलाफ मुक़दमे दर्ज कराए गए हैं। शासन-प्रशासन की आलोचना करने के जुर्म में जिन पत्रकारों के खिलाफ़ एफ आई आर दर्ज करवाई गई थीं। उन मुक़दमों के बाद कई पत्रकारों की गिरफ़्तारियाँ भी हुई थीं, जिन्हें कुछ समय हिरासत में रहने के बाद ज़मानत भी मिल गई थी, कुछ मामलों की सुनवाई भी जारी है। बिगत कुछेक वर्षो पर नजर डालें तो अनेक पत्रकारों के खिलाफ मामले दर्ज करवाकर पत्रकारों के बीच भय व्याप्त करने का माहौल तैयार किया गया। ऐसा नहीं कि ऐसा माहौल पिछली सरकारों में नहीं रहा, रहा लेकिन तुलनात्मक आकड़ों के अनुसार वर्तमान में कुछ ज्यादा ही है। पत्रकारों के खिलाफ दर्ज करवाये गये मामलों पर अगर नजर डालें तो जो मामले प्रकाश में आ चुके हैं उन्हें प्रस्तुत कर रहा हूं।
अगस्त 2019 में मिर्ज़ापुर में सरकारी स्कूल में व्याप्त अनियमितता और मिड डे मील में बच्चों को नमक रोटी खिलाए जाने से संबंधित ख़बर चलाने पर पवन जायसवाल के खिलाफ मामला दर्ज कर प्रताड़ित किया गया। पीसीआई द्वारा मामला संज्ञान लेने पर पवन जायसवाल का नाम एफ़आईआर से हटाया गया। मिर्ज़ापुर में मिड डे मील में कथित धांधली की ख़बर दिखाने वाले पत्रकार पर दर्ज हुई एफ़आईआर के बाद सरकार की काफ़ी किरकिरी हुई थी। इस घटना का दिलचस्प पहलू ज़िले के कलेक्टर का वह बयान था जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘प्रिंट मीडिया का पत्रकार वीडियो कैसे बना सकता है? इस मामले में प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया को हस्तक्षेप करना पड़ा था।

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