Thursday, June 27, 2024
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लेख/विचार

बिहार चुनाव फैसला किसके पक्ष में…

बिहार देश का पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है जहाँ कोरोना महामारी के बीच चुनाव होने जा रहे हैं और भारत शायद विश्व का ऐसा पहला देश। आम आदमी कोरोना से लड़ेगा और राजनैतिक दल चुनाव। खास बात यह है कि चुनाव के दौरान सभी राजनैतिक दल एक दूसरे के खिलाफ लड़ेंगे लेकिन चुनाव के बाद अपनी अपनी सुविधानुसार एक भी हो सकते हैं। यानी चुनाव प्रचार के दौरान एक दूसरे पर छींटाकशी और आरोप प्रत्यारोप लगाने वाले नेता चुनावी नतीजों के बाद एक दूसरे की तारीफों के पुल भी बांध सकते हैं। मजे की बात यह है कि यह सब लोकतंत्र बचाने के नाम पर किया जाता है। हाल ही में हमने ऐसा महाराष्ट्र में देखा और उससे पहले बिहार के पिछले विधानसभा सत्र में भी ऐसा ही कुछ हुआ था।

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‘‘दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश का पूरे देश में प्रथम स्थान‘‘

कृषि के साथ किसानों की जीविका पशुपालन से चलती रही है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुपालन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पशु, कृषि, खाद, खाद्यान्न एवं ऊर्जा के अच्छे स्रोत रहे हैं। जनसंख्या की वृद्धि से उ0प्र0 देश का सबसे बड़ा प्रदेश होने के साथ ही यहाँ विकास की अपार सम्भावनायें हैं। पशुपालन प्रदेश में गरीब, ग्रामीण, जीवन की आजीविका के प्रमुख आधार रहे हैं। गाय, भैस, बकरी, भेड़, सुअर, मुर्गी आदि पशुधन कृषि के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्रदेश सरकार पशुधन विकास के क्षेत्र में विभिन्न कार्यक्रमों उन्नत प्रजनन, पशु रोग नियंत्रण, उन्नत पशुपोषण, आधुनिक पशुधन प्रबन्धन आदि के माध्यम से दुग्ध व पशुधन की उत्पादकता में वृद्धि कर रही है। सरकार के कार्यक्रमों से गरीब पशुपालकों, निर्बल वर्ग के व्यक्तियों, भूमिहीन श्रमिकों की आजीविका तथा उनका आर्थिक उन्नयन हो रहा है, साथ ही उनका कुपोषण भी दूर हो रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा दुग्ध उत्पादन हेतु किये गये विभिन्न कार्यो का ही परिणाम है कि उ0प्र0 देश में दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में प्रथम स्थान पर है।

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महिलाओं का सामूहिक सफर ‘नारी तू नारायणी’ से ‘माल है क्या’

वेबसिरीज की हीरोइनों के बोल्ड अंदाज तथा अंग्रेजी गालियां और अब भारतीय समाचार प्रवाहों में उभर-उभर कर आना महिलाओं के विधानों और व्यवहार के बीच कोई संबंध दिखाई दे रहा है? बंदिश बंडिट्स की हॉट नायिका का गुस्सा और रिया चक्रवर्ती के ह्वाट्सएप चैट के लीक होने का करोड़ो भारतीयों के इंतजार के बीच कोई कनेक्शन दिखाई दे रहा है? पिछले कुछ महीनों से सबसे अधिक किसकी चर्चा हो रही है और क्या काम हो रहा है? फिल्में और समाज, दोनों ही एक-दूसरे को बनाते हैं, जिसका बहुत बड़ा सबूत इस समय मिल रहा है। आज अगर किसी बात की सबसे ज्यादा चर्चा है तो वह आईपील खेलने गए लड़कों की नहीं है, इस समय सबसे ज्यादा चर्चा में देश की नायिकाए हैं। अब यह सोचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा हक् कि उनके लिए नायिका शब्द का प्रयोग करें या नहीं? इस चिंता में आज लोग परेशान हैं।

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मुश्किलें और तरक्की

मुश्किलें और तरक्की, कहने सुनने या पढ़ने में ही बहुत अजीब लगेगा पर थोड़ी सी गम्भीर होते हुए इस शिर्षक पर विचार किया जाए तो इसका वास्तविक तात्पर्य समझने में बिल्कुल भी अजीब नहीं लगेगा किसी को भी।
जी हां हमें एक सफल पर साथ साथ अपनी सफलता को कायम रखने की असली सीख तो मुश्किलें ही सिखाती हैं क्योंकि जब तक हमारे समक्ष मुश्किलें नहीं आतीं हमें अपने जीवन में उपलब्ध किसी भी रिश्ते, पद प्रतिष्ठा का स्वत: कोई कीमत समझ में नहीं आता और ना ही हम दिल से एक मजबूत इंसान बन पाते हैं जिसे अच्छे बुरे इंसान, विषय अथवा किसी भी बात की जानकारी हो।
हमारे इस जीवन में जब तक हमारे साथ सब कुछ अच्छा चल रहा होता है तब तक तो हमारे चिरपरिचित लोगों को हम बहुत अच्छे लगते रहते हैं और हमें भी वो सब चिरपरिचित बड़े अच्छे, प्यारे अथवा यूं कहें कि चाशनी में डूबे हुए लगते हैं।

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हाथरसः देश की बेटी का गैंगरेप प्रकरण…

‘‘प्रेम प्रसंग-मारपीट-मौत ?’’
99 प्रतिशत फेसबुकिया मठाधीशों को नहीं पता होगा कि ये पूरी घटना क्या है? लेकिन इस घटना पर विचार करें तो यह घटनाक्रम शुरुआत से ही बेहद पेचीदा एवं संस्पेंस पूर्ण रहा है। मृतका की माँ के बयान के अनुसार बिटिया (मृतका) खेत में काम कर रही थी और वहीं कुछ दूरी पर उसकी भी मौजूदगी थी! मृतका की माँ का कहना है कि मेरी बेटी (पीड़िता) को संदीप नामक युवक बाल पकड़कर खेतों में ले गया और एक घंटे बाद मेरी बेटी विक्षिप्त अवस्था में मिली…!
वहीं जब पुलिस ने प्रश्न किया कि आप वहां मौजूद थी तो आपने पीड़िता की चीख पुकार क्यों नहीं सुनी ?
तो पीड़िता की माँ का कहना था कि उसे सुनाई नहीं देता है यानिकि उसे कम सुनाई पड़ता है! इस लिये वह बेटी की चीख-पुकार नहीं सुन पाई।
वहीं आरोपी पक्ष के पैरोकारों का कहना है कि मृतका व आरोपी संदीप के बीच प्रेम प्रसंग था और इससे पहले भी इसी बात को लेकर दोनों पक्षों में कई बार वाद-विवाद हो चुका था। लेकिन प्रेमी युगल किसी की मानने को तैयार नहीं थे।
वहीं सूत्रों की मानें तो घटना के दिन भी पीड़िता/मृतका अपने प्रेमी संदीप से मिलने गईं थी। इसकी भनक जब पीड़िता के परिजनों को लग गई तो उन्होंने मौके पर जाकर सब कुछ वही देखा जिससे उन्हें ऐतराज था। आक्रोश में आकर उन्होंने ही पीड़िता की जमकर पिटाई कर दी। जिससे पीड़िता की हालत गंभीर हो गई। वहां के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने भी कुछ ऐसी ही कहानी बयां की है। हालांकि इस घटना के बावत मिली जानकारी की सत्यता की पुष्टि हम नहीं कर रहे बल्कि स्थानीय स्तर के लोगों ने जो बताया है वही लिख रहे हैं। सत्य क्या है यह तो जाँच का विषय है?

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टिट फॉर टैट यानी ‘आंख के बदले आंख’ यह सिर्फ डोभाल जी की अदा है!

हमारे पड़ोसी देश चीन व पाकिस्तान के क्षेत्र में उनकी खासी भूमिका रही है। वे खुद पाकिस्तान में कई वर्ष बतौर जासूस बन कर रहे हैं और अहम खबरें भारत तक लाए हैं। तथा हाल ही में 2019 में जम्मू कश्मीर में जब अनुच्छेद 370 व 35 ए हटा तो वहां शांति बनाने के लिए पहुंच गए। 2017 में चीन को डोकलाम विवाद में भारत की सीमा में घुसपैठ करते चीन को पीछे किया व इस वर्ष भी गलवान घाटी के विवाद में अहम भूमिका निभाई वो हैं अजीत डोभाल।
डोभाल जी का मानना है, पाकिस्तान भारत से कहीं ज्यादा नाजुक है। एक बार उन्हें एहसास हो जाए। भारत ने अपना गैर रक्षात्मक मोड़ से बदल कर रक्षात्मक आक्रामक कर लिया है तो वह भारत को परेशान करने की जुर्रत नहीं करेगा। आप एक मुंबई कर सकते हैं लेकिन हो सकता है आप ब्लूचिस्तान खो दें। विशेषज्ञों का मानना है टिट फॉर टैट यानी आंख के बदले आंख यह सिर्फ डोभाल जी की अदा है। उनका ही दिमाग था पुलवामा व उरी हमलों का बदला सर्जिकल एयर स्ट्राइक्स के द्वारा। इस वर्ष शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन के वर्चुअल मीटिंग से भारत की ओर से डोभाल जी उठ खड़े हुए जब पाकिस्तान ने अपने मानचित्र में पाक अधिकृत कश्मीर, लद्दाख व गुजरात राज्य का जूनागढ़ को अपना बतलाया।

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बेरोजगार दिवस क्यों..?

आखिर बेरोजगारी दिवस मनाने की जरूरत क्यों? और अब युवा वर्ग रोजगार के लिए इतना क्यों छटपटा रहा ? या यूं कह लीजिए कि सरकार अब कितना भ्रमित रखना चाहती है युवाओं को? धर्म को मुद्दा बनाकर आप कब तक इन्हें हिंदुत्व का लॉलीपॉप थमाते रहेंगे? क्या आज हमें इन स्तरहीन नेताओं, अपराधिक गतिविधियों में लिप्त और मर्यादा विहीन नेताओं से अपने धर्म और संस्कारों की परिभाषाएं जाननी और शिक्षा लेनी होगी?
सरकार की नाकामियों से क्रोधित होकर युवावर्ग अब थाली पीटकर अपना हक मांग रहा है तो सरकार चुप क्यों है? यह चुप्पी अखरती है। इस महामारी के समय में कर्मचारियों की छटनी हो रही है। व्यापारी वर्ग के हालात बुरे हो गए हैं। हालात ऐसे हैं कि हर एक दूसरा व्यापारी छोटे कर्मचारियों का शोषण करने पर आमादा है। पहले सैलरी कम देना बाद में नौकरी से ही बाहर कर देना। आखिर घर – परिवार की जिम्मेदारी लिए व्यक्ति कौन सा रोजगार अपनाये और वो भी आपदा में?

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क्या अब जय किसान का नारा सार्थक होगा !

हमारे देश का प्रसिद्ध नारा है, ‘जय जवान जय किसान’, अर्थात देश के दो महानायक माने जाते हैं, जवान और किसान। सच कहा जाए तो ये दोनों ही देश की नींव हैं और इनके दम से ही हमारे देश की इमारत सुरक्षित है। इसलिए देश की सरकार को भी इन्हें मजबूत बनाने की बहुत जरूरत है।
देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने के बाद देश से जो सबसे बड़े वादे किए थे, उनमें से एक था वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी को दुगुना करना। मोदी सरकार का मानना है कि यदि खेती से जुड़े कुछ कानूनों में बदलाव कर दिए जाएं तो किसानों की आमदनी दुगुनी हो सकती है। इसके लिए ये जरूरी है कि किसानों को देश में कहीं भी अपनी फसल बेचने का अधिकार हो। इसे ‘एक देश एक बाजार’ के नाम से जाना जाता है। इसके लिए सरकार जो विधेयक लेकर आई है, विपक्षी दल ने उसका विरोध करते हुए इस विधेयक को किसान विरोधी बताया है, और कहा है कि इससे किसान बर्बाद हो जाएंगे और कृषि पर प्राइवेट कंपनियों का कब्जा हो जाएगा। जबकि प्रधानमंत्री ने इन विधेयकों को किसानों के लिए रक्षा कवच बताया है और किसानों को आगाह करते हुए कहा है कि जो लोग बिचौलियों का साथ दे रहे हैं उनसे किसानों को सावधान रहने की आवश्यकता है। साथ-साथ उन्होंने किसानों को उनकी उपज देश में कहीं भी किसी को भी बेचने की आजादी देना एक ऐतिहासिक कदम बताया है।

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जीवन बचाने यातायात के नियमों का पालन जरूरी

समाजवाद परिवार मैं व्यवस्था एवं आचरण बनाए रखने के लिए नियम कायदे कानून बहुत जरूरी होते हैं ठीक ऐसे ही सरकारों को व्यवस्थाएं बनाए रखने के लिए नियमों और कानूनों का निर्माण करना पड़ता है, ताकि व्यवस्था बनी रहे| वैसे तो कोई भी नियम कानून आम जनता की भलाई के लिए ही बनाया जाता है , जैसे हम यातायात के नियमों की बात करें सारे नियम आम जनता की भलाई के लिए बनाए गए हैं | चाहे वह वाहन चालक हो, चाहे वह पदयात्री हो , चाहे सड़क के किनारे रहने वाले लोग हो| सरकार की जिम्मेदारी होती है कि वह अपनी प्रजा की हर हाल में रक्षा करें वर्तमान परिवेश में सड़कों पर यातायात की भरमार देखी जा सकती है|
चाहे शहर छोटा हो या बड़ा चारों तरफ वाहनों की भागमभाग मची हुई है| इस लिहाज से यातायात के नियमों का पालन करना एवं करवाना किसी भी व्यक्ति के लिए या शासन के लिए बहुत ही आवश्यक होता है| इसके लिए शासन द्वारा किसी भी व्यक्ति को एक अनुज्ञप्ति प्रदान की जाती है|

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सूचना और शिकायत में अन्तर समझे

सूचना के माध्यम से आँकड़ो का एकत्रीकरण करके उन्हे सम्बंधित संस्था, प्राधिकारी और सरकार तक प्रेषित किया जाता है, ताकि आपके सेवारत क्षेत्र को अधिक कार्यकुशल व प्रभावी बनाया जा सके। सूचनाओं का आदान- प्रदान एक नियत व्यवस्था के तहत सम्पादित होता है। सूचनाओं के संकलन के लिये संस्था, विभाग, सरकार या अधिकारी द्वारा किसी कर्मचारी को नियत किया जाता है। जिसका कार्य अपने कार्यरत विभाग, क्षेत्र या प्रदत्त सूचनाओं का संग्रहण कर उन्हे संबंधित प्राधिकारी तक प्रेषित करना होता है। जो सूचनाये उसे अपने सहकर्मियों तथा संबंधित क्षेत्र के व्यक्तियों द्वारा उपलब्ध करायी जाती है। वह सभी प्रदत्त सूचनायें सम्बंधित प्राधिकारी को तुरंत उपलब्ध करा देता है। परन्तु कुछ लोग सूचना प्रदान करने में लापरवाही करते है। विभाग या संस्था द्वारा माँगी गयी सूचना को नामित व्यक्ति तक भेजते ही नही है। कभी-कभी सूचना देने में अति विलम्ब कर देते है। जिससे विभागीय कार्यों में बांधा भी उत्पन्न होती है।

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