Saturday, June 29, 2024
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लेख/विचार

गरीब की रोटी

दो दिन से लगातार बारिश हो रही थी आज तीसरा दिन था चारों तरफ पानी ही पानी दिख रहा था। भोलूवा के बापू बारिश रूकने की राह देख रहे थे कि बारिश रूके तो कुछ सामान लाये वो। घर में जो था वो खत्म होने को आया था। आज अगर बारिश नहीं रूकी तो खाना क्या बनाऊंगी यही सोच सोच कर बधिया परेशान हो रही थी लेकिन बारिश थमने का नाम ही नहीं ले रही थी। वैसे भी इतनी बारिश में बाहर सब्जी, किराने वाले की दुकान खुली होगी ये कहना मुश्किल है फिर भी बाहर तो जाना ही होगा नहीं तो बनाऊंगी क्या? कम से कम आटा और आलू प्याज तो लाना ही पड़ेगा। मुई इस बारिश में तो आलू प्याज भी बहुत महंगा हो गया है। क्या बचाएं क्या खाएं और कहां से जुगाड़ करें कुछ समझ में नहीं आता। यही सब बातें बधिया के दिमाग में घूम रही थी।

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राजनीति को शर्मसार करती महाराष्ट्र की घटनाएं

महाराष्ट्र की राजनीति में इस वक्त भूचाल आया हुआ है।
जिस प्रकार से बीएमसी ने अवैध बताते हुए नोटिस देने के 24 घंटो के भीतर ही एक अभिनेत्री के दफ्तर पर बुलडोजर चलाया और अपने इस कारनामे के लिए कोर्ट में मुंह की भी खाई उससे राज्य सरकार के लिए भी एक असहज स्थिति उत्पन्न हो गई है। इससे बचने के लिए भले ही शिवसेना कहे कि यह बीएमसी का कार्यक्षेत्र है और सरकार का उससे कोई लेना देना नहीं है लेकिन उस दफ्तर को तोड़ने की टाइमिंग इस बयान में फिट नहीं बैठ रही। क्योंकि बीएमसी द्वारा इस कृत्य को ऐसे समय में अंजाम दिया गया है जब कुछ समय से उस अभिनेत्री और शिवसेना के एक नेता के बीच जुबानी जंग चल रही थी। लेकिन उससे भी महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि पूरी मुंबई अवैध निर्माण अतिक्रमण और जर्जर इमारतों से त्रस्त है। अतिक्रमण की बात करें तो चाहे मुंबई के फुटपाथ हों चाहे पार्क कहाँ अतिक्रमण नहीं है?

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हिन्दी क्यों पढ़ते है

हिन्दी मात्र भाषा नही बल्कि सभी भाषाओं की धड़कन है। हिन्दी ने सभी भाषाओं को अंगीकार करके उनका मान बढ़ाया है। हिन्दी समाज को दिशा देने का कार्य करती है।
हिन्दी वैज्ञानिक भाषा है जो शरीर के विभिन्न अंगो कण्ठ, मूर्धन्य, तालव्य, ओष्ठय और दन्त आदि का प्रयोग करके बोली जाती है। जो अंगो की क्रियाशीलता के साथ उच्चारण को भी स्पष्ट बनाती है। रस और अलंकार हिन्दी को जीवन्त और भावपूर्ण बनाते है। इस भाषा की एक विशेष बात है कि इसे जैसा लिखा जाता है, वैसा पढ़ा भी जाता है।
हिन्दी भारत मे एक विषय के रूप मे पढ़ायी जाती है। जैसे कि अन्य विषय भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, गणित और अन्य विषय आदि। जब हम किसी विषय को पढ़ते है तो उसका एक निश्चित उद्देश्य होता है। जीव विज्ञान ठीक से पढ़ लो तो डॉक्टर बन जाओगे और भौतिक विज्ञान व गणित पढ़ लो तो अभियन्ता बन जाओगे। हमें यह बताया जाता है। यह ज्वलन्त प्रश्न है और उसका उत्तर भी हमें ही खोजना है कि हिन्दी क्यों पढ़ायी जाती है?

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!! आओ हिंदी दिवस मनाएं !!

(14 सितंबर हिंदी दिवस)
जनम है हिंदी मरण है हिंदी_धर्म कर्म-व्यवहार है हिंदी,
आगत का स्वागत है हिंदी_विश्व विजय जयमाल है हिंदी।
दुख-दर्द मिटाती है हिंदी_सुख स्वप्न सजाती है हिंदी,
राम-कृष्ण की वाणी हिंदी_भारत की गौरव गाथा हिंदी ।।
चहुंओर व्याप्त दासी भाषा_दासता मुक्त कराती हिंदी,
तानाशाही-नौकरशाही_सब पर राज कराती हिंदी ।
ध्यान ज्ञान विज्ञान है हिंदी_भारत भाग्य विहान है हिंदी,
बिंदी मस्तक सदा विराजे_आशीष” गुणों की खान है हिंदी।।
अंतर्मन अंबर-अवनी हिंदी_भाषा सकल जननि हिंदी,
शब्द शक्ति भंडार है हिंदी_शब्द साधना धाम है हिंदी।
भारत का अरमान है हिंदी_ हिंदोस्ता की जान है हिंदी ,
कन्या से कश्मीर तलक _विस्तृत वितान महान है हिंदी ।।

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जिमी लाइरू जिनसे चीन की सरकार डरती है

विश्व में सुपरपावर बनने की चाह रखने वाले चीन के कम्युनिस्ट पार्टी के नेता हकीकत में एक डरपोक व्यक्तित्व वाले लोग हैं। चीन की सीमा लगभग 20 अलग-अलग देशों से लगी है। इन तमाम देशों से चीन का सीमा को लेकर विवाद चल रहा है। चीन की सरकार अपनी जनता से भी हमेशा डरी रहती है। अपने लोगों की हर गतिविधि पर नजर रखने के लिए चीन की सरकार ने अपने देश में सीसीटीवी कैमरे का एक विशाल नेटवर्क स्थापित कर रखा है। चीन की विशाल जनसंख्या के हर आदमी के एक-एक मिनट की जानकारी ये कैमरे लेते रहते हैं। चीन की जनता आनी सरकार से नाराज है। चीन अपने देश के अल्पसंख्यकों उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार कर रही है और उन्हें परेशान करने के लिए कैंपों में धकेल रही है। चीन ऐसा ही व्यवहार तिब्बत की जनता के साथ भी कर रही है। तिब्बत पर कब्जा करने के बाद चीन की सरकार ने उनके धर्म और संस्कृति की रक्षा करने की बात कही थी। पर अब तिब्बत की धर्म-संस्कृति को नष्ट करने के लिए चीन की सरकार उन पर जोर-जुल्म कर रही है।
इन सभी घटनाओं में चीन का डरपोक स्वभाव साफ दिखाई दे रहा है। चीन पड़ोसियों से डर रहा है। चीन अपनी जनता से डर रहा है। हद तो तब हो गई, जब चीन हांगकांग के 73 साल के बूढ़े व्यक्ति जिमी लाइ से भी डर रहा है। जिमी लाइ एक अखबार के मालिक हैं और चीन की सरकार के अत्याचारी कारनामों के खिलाफ निर्भीकता से आवाज उठाते हैं। परिणामस्वरूप चीन की सरकार समय-समय पर उन्हें गिरफ्रतार करती रही है। परंतु जिमी लाइ चीन सरकार के सामने झुकने को तैयार नहीं हैं। हकीकत यह है कि चीन की सरकार अपने सामने आंख उठाने वाले हर किसी से डर रही है और अपनी ताकत दिखा कर उसे डराने की कोशिश कर रही है। जबकि जिमी लाइ अकेले चीन की सरकार से दो-दो हाथ कर रहे हैं।
अखबार के मालिक जिमी लाइ की कहानी भी जानने लायक है। हांगकांग के उत्तर-पश्चिम मेें मेनलैंड चीन का एक शहर है ग्वानचो। इसी शहर में सन 1948 में जिमी लाइ का जन्म हुआ था। जिमी लाइ का परिवार काफी अमीर था, पर 1949 में जब चीन में कम्युनिस्टों ने सत्ता संभाली तो जिमी के परिवार की तमाम संपत्ति जब्त कर ली गई। 1960 में चीन की सरकार से त्रस्त होकर जिमी का परिवार एक नाव में सवार होकर हांगकांग भाग गया। उस समय जिमी की उम्र 12 साल थी। हांगकांग में परिवार की मदद के लिए जिमी को जहां काम मिला, वहीं मजदूरी की। कुछ दिनों बाद उन्हें एक कपड़े की फैक्ट्री में काम मिल गया।

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महिलाएंः आत्महत्या नहीं संघर्ष करो

आंखों में सतरंगी सपने सजा कर जीवन रूपी बाग में कदम बढ़ा रहा व्यक्ति जीवनपथ पर आगे बढ़ने के बजाय मृत्यु रूपी खाई में समा जाए तो आश्चर्य की अपेक्षा आघात अधिक लगता है। आखिर अचानक कोई व्यक्ति मृत्यु को अपना कर जीवन का करुण अंत क्यों पसंद करता है?
भारतीय समाज में पुरुष जहां 64 प्रतिशत आत्महत्या करते हैं, वहीं महिलाएं 36 प्रतिशत आत्महत्या करती हैं। परंतु लेंसेट पब्लिक हेल्थ के 2017 के सर्वे के अनुसार दुनिया की जनसंख्या की गणना के अनुसार युवा और मघ्यमवर्गीय युवतियों की आत्महत्या के मामले में भारत तीसरे स्थन पर है। सोचने वाली आत यह है कि अगर भारतीय स्त्री सहनशीलता-सहिष्णुता और संघर्ष की मूर्ति कहलाती है, तब पराजय स्वीकार करके जिंदगी से स्वयं पलायन करने का कदम क्यों उठाती है?
शिक्षा और आधुनिकता के विकास के साथ महिलाओं को सपना देखने वाली आंखें मिलीं तो खुले आकाश में उड़ने के लिए पंख मिले, साथ ही आकाश भी मिला। पर उसके आजादी के साथ उड़ने वाले पंखों को काट कर बीच में तड़पने के लिए छोड़ने की सत्ता समाज ने पुरुषों के हाथों मे सौंन दी। यह भी कह सकते हैं कि पुरुषों ने अपने पास रखी। हमारा पुरुष प्रधान समाज, अनेक खामियों वाली विवाह व्यवस्था, गलत सामाजिक मूल्य, अधिक संवेदनशीलता और स्त्रियों की परतंत्रता के कारण पैदा होने वाली लाचारी एक हद तक असह्य बन जाती है। ऐसे में भयानक हताशा ही स्त्रियों केा आत्महत्या की ओर कदम बढ़ाने को मजबूर करती है।
थाॅम्सन फाडंडेशन और नेशनल क्राइम ब्यूरो के पिछले साल के आंकड़ों के अनुसार 15 से 49 साल की भरतीय महिलाओं में से 33-5 प्रतिशत घरेलू हिंसा, 8-5 प्रतिशत यौनशोषण, 2 प्रतिशत दहेज को लेकर महिलाओं ने आत्महत्या की है। भारत में संपत्ति के अधिकार से लेकर दुष्कर्म तक के कानून महिलाओें के हक में है, फिर भी देखा जाए तो महिलाओं को न्याय नहीं मिल रहा है। अध्ययन कहते हैं कि अगर अन्यायबोध हमेशा चलता रहा तो मन में घुटन सी होती रहती है। अगर यह घुटन बढ़ती रही और रही और अपनी हद पार कर गई तो महिला आत्महत्या का मार्ग अपनाती है।

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हिंदी भाषा- जरूरत जुड़ाव की

कोई भी भाषा खराब नहीं होती। हर भाषा अपने आप में समृद्ध है लेकिन जो भाषा बातचीत में सरल और स्पष्ट हो वही मान्य है। आम बोलचाल की भाषा में हिंदी सबसे सरल भाषा है। आप कहीं भी जाइए किसी भी प्रांत में वहाँ की भाषा न समझने पर हिंदी के जरिए हम अपनी बात आसानी से कह समझ लेते हैं लेकिन आधुनिकीकरण और समय के साथ समाज में हो रहे बदलाव ने हिंदी को नगण्य बनाकर रख दिया है। आज बच्चे हिंदी ठीक से पढ़ नहीं सकते, बोल नहीं सकते। यहाँ तक कि शिक्षक भी ठीक से हिंदी नहीं पढ़ाते। शिक्षकों को जानकारी का अभाव और अनुभव का न होना हिंदी जैसे विषय के लिए एक दुखद प्रश्न बनकर खड़ा है। बच्चे जब हिंदी ही सही तरीके से नहीं पढ़ सकते तो हिंदी साहित्य के बारे में क्या जानकारी हासिल करेंगे?

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भारत-अमेरिका को लक्ष्य बना कर चीन चाहता क्या है ?

भारत और चीन के बीच तनाव घटने का नाम नहीं ले रहा है। देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अभी जल्दी ही रूस और ईरान की जो यात्र की है, चीन के साथ संभावित टकराव के संदर्भ में अति महत्वपूर्ण है। राजनाथ सिंह ने इस यात्र के दौरान चीन के विदेशमंत्री से स्पष्ट कहा है कि सीमा पर शांति और सुरक्षा बहुत जरूरी है। इसके लिए आपस में विश्वास होना चाहिए। किसी भी तरह का उकसाने वाला कृत्य नहीं होना चाहिए। इंटरनेशनल नियमों के प्रति सम्मान होना चाहिए। तभी कोई शांतिपूर्ण हल निकल सकता है।
जबकि चीन की हरकतों से साफ लगता है कि चीन अभी भी भारत के साथ जबरदस्ती संघर्ष पर उतारू है। पिछले काफी दिनों से चीन की यह नीति रही है कि चीन अपने दो प्रतिद्वंद्वियों अंतराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका और क्षेत्रीय स्तर पर भारत को अपनी ताकत दिखाने का प्रयत्न कर रहा है। इंडिया पेसेफिक क्षेत्र में अमेरिका के बर्चस्व को चुनौती देने के लिए चीन ने तमाम मिसाइलों के परीक्षण किए हैं। जबकि भारत को चुनौती देने के लिए चीन ने लद्दाख बार्डर पर सैनिकों को तैनात कर के एलएसी पर तनाव पैदा किया है।

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प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना, युवाओं को बना रही है आत्मनिर्भर

राज्य के शिक्षित बेरोजगार युवकों की बेरोजगारी की समस्या दूर करने और प्रदेश के हुनरमंद व कर्मठ युवाओं को अपने पैरो पर खड़ा करने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना की शुरूआत की है। इस योजना का मुख्य उदद्देश्य युवाओं को स्वरोजगार उपलब्ध कराना है। इस योजना के तहत सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को अपना उद्योग शुरू कर स्वरोजगार स्थापित करने के लिए 25 लाख रूपये तक एवं सेवा क्षेत्र हेतु 10 लाख रूपये तक का ऋण बैंकों के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है। इसमें राज्य सरकार द्वारा 25 प्रतिशत मार्जिन मनी अनुदान लाभार्थी को उपलब्ध कराया जाता है, जो कि उद्योग क्षेत्र हेतु अधिकतम रू0 6.20 लाख तथा सेवा क्षेत्र हेतु रु0 2.50 लाख तक देय होता है। जो उद्यम के दो वर्ष तक सफल संचालन के उपरान्त अनुदान में परिवर्तित हो जाता है।
प्रदेश में बहुत से ऐसे युवा है जो शिक्षित और किसी न किसी ट्रेड में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बावजूद आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण अपना खुद का कोई उद्योग, स्वरोजगार शुरू नहीं कर पाते। मुख्यमंत्री जी का ध्येय है कि राज्य के ऐसे युवा इस योजना के अन्तर्गत आवेदन करें और अपना रोजगार शुरू करे, इसके लिए सरकार उनकी आर्थिक सहायता करेगी। प्रदेश के युवाओं को मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजनान्तर्गत लाभान्वित कराते हुए उनको आत्मनिर्भर एवं सशक्त तथा आर्थिक रूप से स्वावलम्बी बनाने के लिए सरकार बड़ी तेजी से कार्य कर रही है।

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आजीवन शिक्षा को समर्पित रहे डा0 राधाकृष्णन

कोरोनाकाल में त्योहार और धार्मिक-सामाजिक आयोजन मर्यादित लोगों की उपस्थिति में आयोजित हो रहे हैं। ऐसे में लगता यही है कि इस साल शिक्षक दिवस भी शायद बंद स्कूलों और कालेजों के माहौल में विद्यार्थियों की प्रत्यक्ष उपस्थिति के बिना ही मनाया जाएगा। पर इससे गुरु-शिष्य के परस्पर के प्रेम और आदर में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। जिनके जन्मदिन पर 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है, उन डा0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन को वैसे तो लोग देश के प्रथम उपराष्ट्रपति और द्वितीय राष्ट्रपति के रूप में जानते हैं। परंतु उनकी असली पहचान अद्वितीय और आजीवन शिक्षक के रूप में है। जब वह देश के राष्ट्रपति के रूप में चुने गए तो 1962 में उनके विद्यार्थी उनके जन्मदिन को मनाने का निवेदन ले कर उनके पास आए। तब डा0 राधाकृष्णन ने उनसे कहा कि अगर मेरा जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाओगे तो मुझे विशेष खुशी होगी और तभी से राधाकृष्णन का जन्मदिन 5 सितंबर देश के शिक्षकों के लिए समर्पित दिन बन गया।
5 सितंबर, 1888 के तमिलनाडु की राजधानी चेन्नै से 40 किलोमीटर दूर गांव तिरुतानी में डा0 राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। पूर्वजों का गांव सर्वपल्ली था, जो उनका कुलनाम बना रहा। निम्न ब्राह्मण परिवार के इस बच्चे के तहसीलदार पिता पढ़ाने के बजाय उसे मंदिर का पुजारी बनाना चाहते थे। पर वह पढ़-लिख कर हिंदू दर्शनशास्त्र के महान विद्वान और उच्चकोटि के दार्शनिक बन गए। डा0 राधाकृष्णन की लगभग समस्त शिक्षा क्रिश्चियन मिशनरी स्कूल-कालेज में हुई। शायद यही वजह थी कि बाद में उन्होंने ‘द हिंदू व्यू आफ लाइफ’ जैसे ग्रंथ की रचना की, जिसमें क्रिश्चियन मिशनरी शिक्षण संस्थाओं के मुक्त वातावरएा का बखान किया गया है। वैसे मिशनरी स्कूलों में हिंदू धर्म को निम्न धर्म के रूप में पढ़ाया जाता था। किशोर-युवा राधाकृष्णन के मन पर इसका गहरा असर पड़ा। इसलिउ उन्होंने ‘द हिंदू व्यू आफ लाइफ की रचना की थी।
1904 से 1908 के दौरान उन्होंने मद्रास यूनीवर्सिटी से उच्च शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद दर्शनशास्त्र के महापंडित के रूप में प्रख्यात हुए राधाकृष्णन कालेज समय से ही दर्शनशास्त्र विषय की ओर आकर्षित हुए थे। उनका एक चचेरा भाई दर्शनशास्त्र से स्नातक था। छुट्टियों में उसकी किताबें राधाकृष्णन को मिलीं तो परिवार की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रख कर मुफ्रत में मिली किताबों की वजह से उन्होंने दर्शनशास्त्र को ही उच्च शिक्षा का विषय बनाया। एमए की डिग्री के लिए उन्होंने ‘वेदांत का नीतिशास्त्र’ पर शोध निबंध लिखा था।

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