Monday, November 18, 2024
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कलाकारों का अब नहीं होगा शोषण- नुपुर अलंकार

देश के दूर-दराज के गांवों, कस्बों व शहरों से लड़के-लड़कियां फिल्मी दुनिया में भविष्य के सुनहरे सपने लेकर आते हैं, लेकिन यहां आकर वो सब एक ऐसे भंवर में फंस जाते हैं जिससे उनका जीवन धीरे-धीरे दर्द भरा हो जाता है। काम के नाम पर निर्माता उनका इतना अधिक शोषण करते हैं कि कम पैसों पर अधिक से अधिक काम लिया जाता है। जिस कारण एक्टर्स भिन्न-भिन्न बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। मनोरंज की दुनिया में जनता उनके एक सुखमय जीवन की सोच रखती है, लेकिन क्या हम जानते हैं कि पर्दे के पीछे रियल लाइफ में उनका जीवन किन परेशानियों से भरा पड़ा है।
इंडस्ट्री में एक्टर्स के हित में काम करने वाली संस्था ‘’सिने एण्ड टीवी आर्टिस्टएसोसिएशन’’ (सिंटा) ने इनकी समस्याओं को लेकर अब बहुत ही गंभीर हो गयी है। जिसके के परिणाम स्वरूप मायानगरी में रह रहे कलाकरों को तनाव व जटिलताओं से मुक्त जीवन जीने में मदद करने के लिए संस्था विभिन्न प्रकार की वर्कशॉप का आयोजन कर रही है। सिंटा की ऐसी कुछ योजनाओं के बारे हमको जानकारी दे रही हैं इस संगठन की एक्टिव मेम्बर नुपुर अलंकार। जोकि टीवी और फिल्म की दुनिया में काम करने वाले और यहां आने वाले लोगों के लिए बहुत ही लाभकारी साबित होगी। तो आगे पढ़ते हैं उनके द्वारा दी गयी उपयोगी बातों को-
किसी भी शूटिंग के सेट पर जाने के लिए लगभग 2.30 से 3 घंटे का समय कलाकारों को लगता है। चूंकि यहां जो कलाकार काम करने के लिए आते हैं उनके अंदर जोश और जुनून कूट-कूट कर भरा होता है। इनकी आयु भी 20 से 25 वर्ष की होती है। जिसका गलत फायदा उठाते हुए निर्माता उनसे इतना अधिक काम लेते हैं कि धीरे-धीरे उनकी तबियत खराब होने लगती है, बीमार होने पर उनको हटा कर दूसरे कलाकार को ले लिया जाता है। जो एक्टर्स बहुत दिनों से इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं उन सब की सेहत में गलत प्रभाव पड़ रहा है। हमसे पहले जो भी लोग सिंटा कि कमेटी में रहे है उन्होंने एक्टर्स की ऐसी समस्याओं के लिए कोई भी सशक्त कदम नहीं उठाए। जिस कारण ऐसी समस्याएं दिन पर दिन विकराल होती चली गयीं। इसी का एक ज्वलंत उदाहरण है टीवी सीरियल ऐसी दिवानगी देखी नहीं कहीं के सेट पर अभिनेत्री ज्योति शर्मा चार बार मुर्छित हुयी, तो मुझे सेट पर जा कर उसकी मदद करनी पड़ी। वहीं अभिनेता प्रनव मिश्रा को टांग में सूजन व दर्द होने के बावजूद 4 माह तक छुट्टी नहीं दी गयी। जिस कारण काम के भीषण दबाव व तनवा के चलते दोनों ने खुद को इस सीरियल से अलग कर लिया। इसन दोनों से 18 से 20 घंटे का काम लिया जा रहा था। ऐसा सिर्फ इन दोनों एक्टर्स के साथ ही नहीं हो रहा है इस पंक्ति में ऐसे बहुत से एक्टर्स शामिल हैं। लेकिन अब सिने एण्ड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन (सिंटा) की केअर कमेटी ऐसे मामलों में एक्टर्स की मदद करने का बीड़ा है। सिंटा अब एक्टर्स का शोषण नहीं होने देगा। जिसके लिए ऐसे एक्टर्स की काउंसलिंग की जाएगी, उनको यह बताया जाएगा कि ओवर वर्क करने से उनको आगे क्या बीमारियां होने वाली है जिसके चलते उनको काम भी नहीं मिलेगा। 

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संस्कृत पद्धति मातृ भाषा नहीं जीवन पद्धति है-प्रो. यदुनाथ दुबे

मृतुन्जय पाण्डेय महिला महाविद्यालय में सम्पन्न हुआ लोकार्पण समारोह
चकिया, चंदौलीः जन सामना ब्यूरो। शिक्षा का सबसे बड़ा कार्य संस्कृत की रक्षा करना है। राष्ट्र और समाज के पहचान का मूल तत्व संस्कृति ही है ।उक्त विचार संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर यदुनाथ दुबे ने शुक्रवार को बरहुआ ग्राम स्थित मृत्युंजय पांडेय महिला महाविद्यालय के लोकार्पण समारोह के दौरान अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहीं। उन्होंने कहा कि संस्कृत पद्धति मातृभाषा नहीं जीवन पद्धति है। शिक्षा का अर्थ ज्ञान से है लेकिन आज उपाधि की धूम है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जिनका ज्ञान से कोई सरोकार नहीं है ।वह भी उच्च उपाधि डिग्री प्राप्त कर शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं। मुख्य अतिथि महात्मा काशी विद्यापीठ वाराणसी के कुलपति डाॅ0 पृथ्वीश नाग ने कहा कि शिक्षा के प्रति बालिकाओं की रुचि बढ़ती जा रही है। यह विद्यालयों में जाकर शिक्षा ग्रहण करती हैं । लेकिन छात्र विद्यालय जाने से कतराते हैं। यही कारण है कि उत्तीर्ण होने का प्रतिशत भी बालिकाओं का ही रहता है। बालिका शिक्षा के लिए यह महाविद्यालय भौगोलिक दृष्टिकोण से एकदम फिट बैठता है ।यहां पर बालिकाओं के लिए उच्च शिक्षा में जो भी आवश्यकता होगी मैं हमेशा सहयोग के लिए तैयार रहूंगा। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के टूरिज्म के निदेशक कल्पलता पांडेय ने कहा कि यह महाविद्यालय सभी मानको को पूर्ण करता है। यहां जो भी कोर्स बढ़ाने का प्रस्ताव आएगा ।उसे शीघ्र ही पूरा किया जाएगा। इस नक्सल क्षेत्र में ग्रामीण बालिकाओं के लिए महाविद्यालय की स्थापना करना एक सराहनीय कार्य है। वही समाजसेवी डाॅ0 रामाधार जोसफ ने बालिका शिक्षा पर बल देते हुए कहा कि बालिकाओं को शिक्षित करना दो परिवार को शिक्षित करने के बराबर होता है।

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राज्य स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता एवं वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन

हाथरसः जन सामना संवाददाता। राज्य स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता एवं वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन राजकीय पाॅलीटैक्निक झाॅसी में दिनांक 19.02.2018 से दिनांक 22.02.2018 तक किया गया था।
इस प्रतियोगिता में एमजी पाॅलीटैक्निक हाथरस की ओर से राहुल सिंह (तृतीय वर्ष एम आर ए सी), राहुल चैधरी (द्वितीय वर्ष सिविल ), यतीक चैहान (आॅटों मैकेनिंक प्रथम वर्ष) तथा गुलाब सिंह मैकेनिकल प्रोडेक्शन तृतीय वर्ष) के छात्रों ने प्रतिभाग किया था। जिसमें राहुल सिंह नें पुरुष वर्ग में क्रमशः 100 मीटर, 200 मीटर तथा 400 मीटर दौड में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। जिसके लिए राहुल सिंह को स्टेट लेबल चैम्पियन शिप से नवाजा गया है। राहुल चैधरी ने 100 मीटर दौड में द्वितीय स्थान प्राप्त किया है, यतीक चैहान ने 200 मीटर दौड में तृतीय स्थान प्राप्त किया तथा गुलाब सिंह ने जैबलिंग थ्रों में तृतीय स्थान प्राप्त किया हैं। इस प्रतियोगिता में स्टेट लेबल चैम्पियन शिप पश्चिमी जोन को मिली।
जिलाधिकारी महोदय ने भविष्य में भी इस तरह की प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करते रहने के लिए प्रतिभागियों को उत्साहित किया। जिससे अपने जनपद का नाम रोशन करते रहे। जिलाधिकारी अमित कुमार सिंह ने सभी प्रतिभागियों के उज्जवल भविष्य की कामना की।

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एन्डस (ENDS) से मिलिये और उन्हें प्रतिबंधित न कीजिए

विश्व स्वास्थ संगठन की ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2016 के अनुसार विश्व में सामने आए कुल 10.3 मिलियन नए टीबी मामलों में से 2.8 मिलियन मामले भारत से हैं। इसके अलावा, यह रिपोर्ट यह भी बताती है कि भारत में मुंह के कैंसर से होने वाली सालाना मौतों की संख्या 10 लाख से अधिक हो गई है। ये संख्या खतरनाक है, भारत, स्वास्थ्य देखभाल के संकट की कगार पर है, जबकि पोशण टीबी रोगियों की संख्या वृद्धि का प्रमुख कारण हो सकता है, तम्बाकू की खपत में वृद्धि को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। हर गुजरते बजट के साथ वित्त मंत्री ने तम्बाकू और इससे संबंधित उत्पादों के उत्पाद शुल्क में वृद्धि की घोशणा की। 2017 में तम्बाकू या गुटखा युक्त पान मसाला उत्पादों पर उत्पाद शुल्क 10 से बढ़कर 12 प्रतिशत हो गया। अन्य गैर-विनिर्मित तम्बाकू के लिए यह शुल्क पहले 4.2 प्रतिशत से बढ़कर 8.3 प्रतिशत कर दिया गया। नाॅन-फिल्टर सिगरेट पर एक्साइज़ ड्यूटी 215 रूपए प्रति हजार से बढ़ाकर 311 रूपए कर दी गई है। 2016 में सरकार ने सिगरेट पर उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क 9 प्रतिशत बढ़ा दिया था। इस वर्श तम्बाकू और संबंधित उत्पादों को 28 प्रतिशत के उच्च्तम जीएसटी ब्रैकेट और 5 प्रतिशत सेस में रखा गया है। इसके अलावा, पिछले कुछ महीनों में सिगरेट पैक पर जारी पैकेजिंग चेतावनियों पर भी एक बहस हुई है।
लेकिन असली सवाल यह है कि इन उपायों का तम्बाकू या इससे संबंधित उत्पादों की बिक्री और उपभोग पर काफी प्रभाव पड़ा है। मधुमेह और हृदय रोगों के साथ, भारत में तम्बाकू की खपत एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या के रूप में उभरी है। पारम्परिक सिगरेट में निकोटीन और रसायनों की उच्च मात्रा नशे की लत बढ़ाती है और एक व्यक्ति द्वारा इसे छोड़ना असंभव बना देती है। यह समय की ज़रूरत है कि ऐसे विकल्पों पर विचार किया जाए जिससे नशे की आदत और अंत में धूम्रपान को छोड़ा जा सके। वेपिंग का एसे प्रयास में एक विकल्प के रूप में विचार किया जाना चाहिए।
कैंसरकारक पदार्थों के खिलाफ एक हालिया प्रयास में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तम्बाकू नियंत्रण प्रभाग ने संशोधन के लिए सार्वजनिक डोमेन से सिगरेट के संशोधन को वापस लेने और अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम (सीओटीपीए), बिल 2015 को वापस लेने के लिए एक नोटिस भेजा है। नए अपेक्षित संशोधित संशोधनों में ई-सिगरेट/वेपिंग उपकरणों को बढ़ावा देने के खिलाफ कार्रवाई शामिल होगी।

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गरीबों को जल्द मिल सकेंगे मकान

कानपुरः जन सामना संवाददाता। शासन की नीति है कि बड़े फ्लैट के बजाय गरीबों के लिए ईडब्लूएस मकान का निर्माण हो। अब केडीए शासन की ही नीति पर काम करेगा। इसके लिए बताया जाता है कि आगामी 50 वर्षो की पलानिंग लेकर आवासीय योजनायें तैयार की जायेगी। शहर की बढ़ती आबादी के लिए वर्तमान में बड़ी संख्या में भवन की आवश्यकता है। ऐसे में भवन उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
इस सम्बनध में केडीए उपाध्यक्ष विजयेन्द्र पण्डियन ने कहा कि सब जरूरतमंदों को भवन उपलब्ध हो इसके लिए जांच व्यवस्था कड़ी की जायेगी जिससे किसी प्रकार के घपले की कोई संभावना नहीं होगी। प्रधामंत्री आवास योजना में कानपुर में कई नियमों को ध्यान में रखा जायेगा। बताया यहां भी पिछले दिनों जवाहरपुरम, महावीर नगर, रूमा, रामगंगा पनकी में 141730 लोगों ने डिमाण्ड सर्वे में भाग लिया जिसमें से 90 फीसदी आवेदक ऐसे हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पूर्व में आवेदन किया था। सूडा द्वारा उनकी जांच भी करा ली गयी है।

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खाद्य विभाग का खोया मण्डी में छापा, मौके से भागे व्यापारी

कानपुरः जन सामना संवाददाता। होली पर मावा की भारी मांग को देखते हुए कानपुर नगर की खोया मण्डियों में हर वर्ष की भांति भारी मात्रा में खोया एकत्र हो रहा है। नगर और आसपास के क्षेत्रो से लेकर बाहर से भी खोया कानपुर आ रहा है। अधिक पैसा कमाने की लालच में नकली खोया बेचने और लोगों के स्वास्थ के साथ खिलावाड न हो सके इसलिए खाद विभाग की टीम भी सर्तक हो गयी है और नकली व खराब खोया की धरपकड़ के लिए छापेमारी कर रही है।
कानपुर की पुरानी और बड़ी हटिया खोयामण्डी की शुक्रवार की सुबह उस समय हड़कंप मच गया जब खाध विभाग की टीम ने अचानक छापेमारी की। टीम को देखकर स्थानीय और बाहर से आये खोवा व्यापारी अपना मावा छोड़कर मौके से भाग निकले। वहीं यह बात पूरी मण्डी में फैल गयी जिसपर स्थानीय दुकानदारों ने अपनी दुकाने भी बंद कर दी। टीम द्वारा कई मावा की टोकरियों से मावा के नमूने एकत्र किये गये। टीम द्वारा बताया गया कि होली के मददेनजर बाजार में नकली मावा की बिक्री न हो जाये इसके लिए छापेमारी की जा रही है। हटिया खोया मण्डी में छापेमारी कर दो गाडी मावा पकडा गया है, जिसके नमूने लिये गये है जिनकी जांच कराई जायेगी।

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जापानी कम्पनियों के प्रतिनिधि मण्डल ने अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त से मुलाकात की

लखनऊः जन सामना ब्यूरो। जापान की मिटसुई केमिकल्स एग्रो तथा कोनोआईकेई कम्पनियां के प्रतिनिधि मण्डल ने आज प्रदेष के अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त अनूप चन्द्र पाण्डेय से उनके सचिवालय स्थित सभाकक्ष में मुलाकात की।
जापानी कम्पनियों ने प्रदेश में फसलोत्पादन, फूड सप्लाईचेन की स्थापना एवं रखरखाव, गन्ना तथा डेयरी क्षेत्र में निवेष की इच्छा व्यक्त की। श्री पाण्डेय ने प्रतिनिधि मण्डल को निवेष हेतु समस्त आवश्यक सुविधायें उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया।

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इन्वेस्टर्स समिट 2018 में हुये एमओयू के क्रियान्वयन हेतु निर्देश जारी

लखनऊः जन सामना ब्यूरो। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त अनूप चन्द्र पाण्डेय ने गत 21-22 फरवरी, 2018 को आयोजित यूपी इन्वेस्टर्स समिट 2018 के दौरान विभिन्न उद्योगपतियों, निवेशकों के साथ हुये एम0ओ0यू0 को धरातल पर उतारने हेतु संबंधित अधिकारियों से गहन विचार- विमर्श किया। उन्होंने निर्देष दिये कि प्राप्त एम0ओ0यू0 को विभागवार/जिलेवार संकलित किया जाये। उनके क्रियान्वयन हेतु एक क्रियान्वयन फे्रमवर्क तैयार किया जाये ताकि समयबद्ध तरीके से इनका क्रियान्वयन हो सके।

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बाइक चलाना सीख रहीं हैं श्वेता भट्टाचार्या

मोटरसाइकिल चलाना आजकल एक ऐसा स्टाइल स्टेटमेंट बन गया है कि महिला कलाकारों ने भी बाइक चलाना शुरू कर दिया है। कुछ अभिनेत्रियाँ अपनी स्क्रिप्ट की मांग से इतर भी बाइक चलाना सीखने को लेकर जुनूनी हैं। ऐसी ही एक साहसी अभिनेत्री हैं श्वेता भट्टाचार्या जो शो ‘जय कन्हैया लाल की’ में डाॅली की भूमिका निभा रहीं हैं। हाल ही में, ऐसी खबर थी कि श्वेता ‘जय कन्हैया लाल की’ के सेट पर अपने को-स्टार विशाल वशिष्ठ से हिंदी सीख रहीं हैं। श्वेता हमेशा नई चीजें सीखने में खुद को व्यस्त रखती हैं। उसकी इस सूची का नवीनतम शगल बाइक चलाना है। श्वेता बेसब्री से बाइक चलाना सीख रही हैं। बाइक चलाने के बारे में कोई जानकारी नहीं होने के कारण श्वेता ने कोशिश करने का फैसला किया और अभी तक सफल रही हैं।
इस बारे में बताते हुए श्वेता कहती हैं, “मुझे हमेशा से बाइक चलाने में डर लगता था। मेरा एक दोस्त बाइक चलाना सीखाने में मेरी मदद कर रहा है। मैंने सोचती थी कि बाइक खतरनाक स्पीड मशीन है लेकिन मैंने बाइक चलाना सीखकर अपना डर दूर करने का फैसला किया। बाइक चलाना आसान नहीं है। इसके लिए कड़ी मेहनत और समर्पण की जरूरत है।

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क्यों ना इस महिला दिवस पुरुषों की बात हो ?

‘हम लोगों के लिए स्त्री केवल गृहस्थी के यज्ञ की अग्नि की देवी नहीं अपितु हमारी आत्मा की लौ है, रबीन्द्र नाथ टैगोर।’
8 मार्च को जब सम्पूर्ण विश्व के साथ भारत में भी ‘महिला दिवस’ पूरे जोर शोर से मनाया जाता है और खासतौर पर जब 2018 में यह आयोजन अपने 100 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है तो इसकी प्रासंगिकता पर विशेष तौर पर विचार करना आवश्यक हो जाता है।
जब आधुनिक विश्व के इतिहास में सर्वप्रथम 1908 में 15000 महिलाओं ने न्यूयॉर्क शहर में एक विशाल जुलूस निकाल कर अपने काम करने के घंटों को कम करने, बेहतर तनख्वाह और वोट डालने जैसे अपने अधिकारों के लिए अपनी लड़ाई शुरू की थी तो, इस आंदोलन से तत्कालीन सभ्य समाज में महिलाओं की स्थिति की हकीकत सामने आई थी।
उससे भी अधिक दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य यह है कि अगर वोट देने के अधिकार को छोड़ दिया जाए तो पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के वेतन और समानता के विषय में भारत समेत सम्पूर्ण विश्व में महिलाओं की स्थिति आज भी चिंतनीय है।
विश्व में महिलाओं की वर्तमान सामाजिक स्थिती से सम्बन्धित एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर भारत की बात की जाए, तो 2017 में लैंगिक असमानता के मामले में भारत दुनिया के 144 देशों की सूची में 108 वें स्थान पर है जबकि पिछले साल यह 87 वें स्थान पर था। किन्तु केवल भारत में ही महिलाएँ असमानता की शिकार हों ऐसा भी नहीं है इसी रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि ब्रिटेन जैसे विकसित देश की कई बड़ी कंपनियों में भी महिलाओं को उसी काम के लिए पुरुषों के मुकाबले कम वेतन दिया जाता है। वेतन से परे अगर उस काम की बात की जाए जिसका कोई वेतन नहीं होता, जैसा कि हाल ही में अपने उत्तर से विश्व सुन्दरी का खिताब जीतने वाली भारत की मानुषी छिल्लर ने कहा था, और जिसे एक मैनेजिंग कंसल्ट कम्पनी की रिपोर्ट ने काफी हद तक सिद्ध भी किया। इसके मुताबिक, यदि भारतीय महिलाओं को उनके अनपेड वर्क अर्थात वो काम जो वो एक गृहणी, एक माँ, एक पत्नी के रूप में करती हैं, उस के पैसे अगर दिए जाएं तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था में 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान होगा। और इस मामले में अगर पूरी दुनिया की महिलाओं की बात की जाए तो यूनाइटेड नेशन की रिपोर्ट के अनुसार उन्हें 10 ट्रिलियन अमेरिकी डालर अर्थात पूरी दुनिया की जीडीपी का 13 प्रतिशत हिस्सा देना होगा।

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